Thursday, 13 October 2016
PULSES REP0RTS
देशी चनाः मुनाफा लेते रहिए
(13/10/2016) यह मानते हैं कि देशी चने की आवक व स्टॉक दोनों ही मिलिंग के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इन सबके बावजूद 150 रुपए प्रति किलो की दाल उपभोक्ता लेने से पीछे हट गया है जिससे तेजी में स्थायीपन समाप्त हो गया है। अतः हर बढे भाव पर या जिस स्टॉक में मुनाफा मिले, माल बेचकर निकल जाना लाभदायक रहेगा। अभी देशी चने के नए माल उतरने शुरू नहीं हुए। पुराना माल 46-47 कंटेनर तीन दिन पहले यहां उतरा था, लेकिन दाल की बिक्री कमजोर एवं ऊंचे भाव होने से माल की बिकवाली करते रहना लाभदायक रहेगा।
तुवरः टैम्प्रेरी सुधार संभव
(13/10/2016) भारतीय बंदरगाहों पर कंटेनरों का तांता लगने से तुवर में मंदे का दलदल बन गया है। मुम्बई में एक ही दिन के अंतराल 400 रुपए टूटकर कल शाम को 6300 रुपए प्रति क्विंटल भाव रह गये तथा इन भाव में लिवाल भी दूर-दूर तक कोई नहीं दिखाई दिये। इसका मुख्य कारण यह रहा कि एक सप्ताह के अंतराल 1200 कंटेनर के करीब तंजानिया, मौजाम्बिक, कीनिया, म्यांमार एवं सूडान की तुवर लग गयी है। इसके अलावा कार्तिकी तुवर तैयार खडी है, जिसमें दाने लग चुके हैं, लेकिन एक साथ मंदे का दलदल बनने के बाद चार दिनों से लिवाल नगण्य होने से दाल मिलों में स्टॉक भी समाप्त हो चका है। अतः मिलिंग के लिए दाल मिलों की नीचे वाले भाव में आज खुलते बाजार पूछताछ को देखते हुए 200/300 का शीघ्र सुधार लग रहा है।
मूंगः अब मंदे को विराम
(13/10/2016) दाल धोया व छिलका की बिक्री काफी कमजोर होने से मूंग के भाव भी दबे जरूर हैं, लेकिन उत्पादक मंडियों से दिल्ली के पडते किसी भी व्यापारी को नहीं लग रहे हैं। दूसरी ओर राजस्थान के अलावा कोई और फसल आने वाली नहीं है। नवांसेवा पोर्ट पर भी अन्य दलहनों की अपेक्षा मूंग कम उतर रही है क्योंकि आयातकों के नए सौदे नहीं हो रहे हैं, जो पहले के हुए सौदों के पैंडिंग माल बचे थे, वही उतर रहे हैं। यूपी-बिहार की मूंग जून-जुलाई में आएगी। इन हालातों को देखते हुए यहां मंदे को अब विराम लग जाएगा।
उडदः जड में तेजी नहीं
(13/10/2016) हालांकि बाहर के कंटेनर कम आ रहे हैं, तथापि शिवपुरी, कटनी लाइन के साथ-साथ झालावाड, भवानीगंज एवं कोटा लाइन की उडद भी यहां उतरने लगी है, जो 6200/6400 रुपए में बिक रही है। ललितपुर-झांसी लाइन में माल का प्रैशर अभी भी बना हुआ है। छोटे दाने की उडद का प्रैशर से महाराष्ट्र के माल बिकने कम हो गये हैं। इसे देखते हुए अभी और बाजार टूटने के आसार बन गये हैं। महाराष्ट्र व एमपी में बरसात के नाम पर सटोरियों ने उडद को फर्जी बढा दिया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि महाराष्ट्र में कटाई हो चुकी है।
मसूरः-कुछ दिन तक मंदा बरकरार
(13/10/2016) आगामी 24 अक्टूबर के लिए जीएच सियाबर्ड स्टीमर पर मटर के साथ-साथ 12518.44 मी.टन मसूर भी लोड है। आयात सौदे कम एवं सटोरियों द्वारा फर्जी सौदे किये जाने की बाजारों में अटकलें आने लगी हैं क्योंकि अधिकतर व्यापारी अपने आयात सौदे एवं बिक्री को देखते हुए कई सौदे ऐसे दिखाई दे रहे हैं जो एक ही दलाल कई व्यापारियों को बिकवा चुका है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि 1.75 लाख टन से ज्यादा सौदे नहीं हुए हैं, जो 3.45 लाख टन के आसपास अब तक हो चुके थे। इन हालातों को देखते हुए दूरगामी परिणाम बढिया होगा, लेकिन फिलहाल दहशत में कुछ दिन तक मंदा बरकरार रहेगा।
मटरः खरीद लाभदायक
(13/10/2016) नवांसेवा पोर्ट पर चालू माह में लगने वाले स्टीमरों की स्थिति मैनुफैस्ट में लगातार दिखाई देने लगी है। पिछले 20 दिनों के अंतराल डेढ लाख टन सफेद मटर लग गयी है तथा 15 व 18 अक्टूबर को और माल लगने बाकी हैं। इसके अलावा 24 अक्टूबर का भी एक और जियासिया बर्ड नामक स्टीमर लगने वाला है, जिस पर 48891 मी.टन के करीब सफेद मटर है एवं उसी दिन दूसरा स्टीमर दरिया टियाना भी लगेगा, जिस पर 61500 टन मटर लदी है। फिलहाल अभी तेजी तो नहीं है, लेकिन नीचे वाले भाव पर व्यापार करना चाहिए क्योंकि अक्टूबर में ही अधिक से अधिक स्टीमर लगने वाले हैं।
काबली चनाः बिजाई 70 प्रतिशत हुई
(13/10/2016) ऊंचे भाव होने एवं पिछैती बरसात से किसानों को काबली चने की बिजाई में उत्साह बना हुआ है। अभी तक कर्नाटक में 70 प्रतिशत हो गयी है। मध्य प्रदेश व इंदौर लाइन में जोरों पर चल रही है। हालांकि किसान काबली चने की बिजाई के लिए 70 प्रतिशत अपने गोदाम में रखे हैं, लेकिन 30 प्रतिशत रिकॉर्ड तेजी को देखकर बिजाई के लिए बाहरी किसान बीज भंडारों से खरीद करने लगे हैं, जिससे मोटा माल एमपी में 13 हजार रुपए बिक गया। इधर महाराष्ट्र में भी छोटे दाने वाला 10500 रुपए भी बिक गया है।
गेहूंः तेजी-मंदी टेण्डर पर निर्भर
(13/10/2016) गेहूं की आवक किसानी माल की लगभग समाप्त हो गयी है। दूसरी ओर सरकार द्वारा भी एफसीआई के माध्यम से दिये जाने वाले गेहूं टेण्डर और घटा दिये हैं, जिसके चलते इस बार का टेण्डर 15/16 रुपए और महंगा चला गया। यहां भी इसके भाव 1840/1845 रुपए प्रति क्विंटल पर जा पहुंचे हैं। यह गत वर्ष की तुलना में 140/150 रुपए ऊंचा बिकने लगा है। अब आगे गेहूं में तेजी-मंदी सरकारी बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अगर सरकार एक लाख क्विंटल से बढाकर गेहूं का टेण्डर देती है तो बाजार दबेगा। अन्यथा 10/20 और बढ जाएगा।
चावलः बारीक में पोल
(13/10/2016) पूर्वी उत्तर प्रदेश-बिहार में अच्छी बरसात होने से बारीक प्रजाति का धान बहुत ही बढिया दिखाई दे रहा है, लेकिन विगत् दो सालों से कम बरसात होने से किसानों ने बारीक धान की रोपाई कम की है। दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा व पंजाब में 1121 धान की रोपाई इस बार कम हुई है। धान 1509 प्रजाति में पोल आ गयी है, जिससे इसके भाव मंदे के बाद गत कई दिनों से ठहर गये हैं। इन हालातों को देखते हुए बारीक चावल के भाव निचले स्तर पर आ चुके हैं। इन भाव में व्यापार करना चाहिए।
सोयाबीन : हो सकता है मंदा
(13/10/2016) घटी कीमत पर स्टॉकिस्टों एवं प्लांटों की लिवाली सुस्त बनी होने से जलगांव में सोयाबीन 3 हजार रुपए के पूर्वस्तर पर स्थिर बना रहा जबकि इंदौर में यह 100 रुपए मंदा होने की जानकारी मिली। शिकागो के सकिय्र तिमाही सोया तेल वायदा में 28 सैंट प्रति पौंड तथा केएलसीई के सक्रिय तिमाही सीपीओ वायदा में 37 रिंगिट प्रति टन की मंदी आने की सूचनाएं हैं। इधर, सटोरियों की बिकवाली के दबाव में सक्रिय घरेलू वायदा 50 रुपए या 1.61 प्रतिशत गिरकर 3055 रुपए रह गया। आगामी एक-दो दिनों में हाजिर में सोयाबीन थोड़ा-बहुत मंदा हो सकता है।
बाजराः-और घटने की गुंजाइश नहीं
(13/10/2016) हरियाणा, राजस्थान एवं पश्चिमी यूपी में बाजरे का उत्पादन बम्पर हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन मध्य व पूर्वी यूपी को मिलाकर औसतन 35 लाख टन उत्पादन होता है, जो इस बार 15 लाख टन कम रह जाने का अनुमान आने लगा है क्योंकि पूर्वी यूपी में बाढ से बाजरे की 80 प्रतिशत फसल नष्ट हो गयी है। दूसरी ओर 10 लाख टन के करीब जो पुराना स्टॉक बचता था, वह इस बार पहले ही समाप्त हो चुका है। इस तरह पूर्वानुमान से 25 लाख टन उत्पादन में कमी को देखते हुए वर्तमान भाव से और मंदा नहीं लग रहा है।
मक्कीः थोडा बाजार और दबेगा
(13/10/2016) मक्की में घरेलू व निर्यात मांग दोनों ही कमजोर चल रही है। दूसरी ओर एमपी व राजस्थान में मक्की की कटाई शुरू हो गयी है, जिससे यहां यूपी की मक्की में लिवाली कमजोर होने से 5/7 रुपए बाजार और दब गये हैं। यहां 1545 रुपए में भी उठ्ठू में गोदाम से कोई विशेष व्यापार नहीं हो रहा है। बिहार में भी बरसात होने से मक्की लोडिंग खगडिया-बेगूसराय लाइन से ठप्प पड गयी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए मक्की का बाजार वर्तमान भाव से 10/20 और दब सकता है।
(13/10/2016) यह मानते हैं कि देशी चने की आवक व स्टॉक दोनों ही मिलिंग के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इन सबके बावजूद 150 रुपए प्रति किलो की दाल उपभोक्ता लेने से पीछे हट गया है जिससे तेजी में स्थायीपन समाप्त हो गया है। अतः हर बढे भाव पर या जिस स्टॉक में मुनाफा मिले, माल बेचकर निकल जाना लाभदायक रहेगा। अभी देशी चने के नए माल उतरने शुरू नहीं हुए। पुराना माल 46-47 कंटेनर तीन दिन पहले यहां उतरा था, लेकिन दाल की बिक्री कमजोर एवं ऊंचे भाव होने से माल की बिकवाली करते रहना लाभदायक रहेगा।
तुवरः टैम्प्रेरी सुधार संभव
(13/10/2016) भारतीय बंदरगाहों पर कंटेनरों का तांता लगने से तुवर में मंदे का दलदल बन गया है। मुम्बई में एक ही दिन के अंतराल 400 रुपए टूटकर कल शाम को 6300 रुपए प्रति क्विंटल भाव रह गये तथा इन भाव में लिवाल भी दूर-दूर तक कोई नहीं दिखाई दिये। इसका मुख्य कारण यह रहा कि एक सप्ताह के अंतराल 1200 कंटेनर के करीब तंजानिया, मौजाम्बिक, कीनिया, म्यांमार एवं सूडान की तुवर लग गयी है। इसके अलावा कार्तिकी तुवर तैयार खडी है, जिसमें दाने लग चुके हैं, लेकिन एक साथ मंदे का दलदल बनने के बाद चार दिनों से लिवाल नगण्य होने से दाल मिलों में स्टॉक भी समाप्त हो चका है। अतः मिलिंग के लिए दाल मिलों की नीचे वाले भाव में आज खुलते बाजार पूछताछ को देखते हुए 200/300 का शीघ्र सुधार लग रहा है।
मूंगः अब मंदे को विराम
(13/10/2016) दाल धोया व छिलका की बिक्री काफी कमजोर होने से मूंग के भाव भी दबे जरूर हैं, लेकिन उत्पादक मंडियों से दिल्ली के पडते किसी भी व्यापारी को नहीं लग रहे हैं। दूसरी ओर राजस्थान के अलावा कोई और फसल आने वाली नहीं है। नवांसेवा पोर्ट पर भी अन्य दलहनों की अपेक्षा मूंग कम उतर रही है क्योंकि आयातकों के नए सौदे नहीं हो रहे हैं, जो पहले के हुए सौदों के पैंडिंग माल बचे थे, वही उतर रहे हैं। यूपी-बिहार की मूंग जून-जुलाई में आएगी। इन हालातों को देखते हुए यहां मंदे को अब विराम लग जाएगा।
उडदः जड में तेजी नहीं
(13/10/2016) हालांकि बाहर के कंटेनर कम आ रहे हैं, तथापि शिवपुरी, कटनी लाइन के साथ-साथ झालावाड, भवानीगंज एवं कोटा लाइन की उडद भी यहां उतरने लगी है, जो 6200/6400 रुपए में बिक रही है। ललितपुर-झांसी लाइन में माल का प्रैशर अभी भी बना हुआ है। छोटे दाने की उडद का प्रैशर से महाराष्ट्र के माल बिकने कम हो गये हैं। इसे देखते हुए अभी और बाजार टूटने के आसार बन गये हैं। महाराष्ट्र व एमपी में बरसात के नाम पर सटोरियों ने उडद को फर्जी बढा दिया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि महाराष्ट्र में कटाई हो चुकी है।
मसूरः-कुछ दिन तक मंदा बरकरार
(13/10/2016) आगामी 24 अक्टूबर के लिए जीएच सियाबर्ड स्टीमर पर मटर के साथ-साथ 12518.44 मी.टन मसूर भी लोड है। आयात सौदे कम एवं सटोरियों द्वारा फर्जी सौदे किये जाने की बाजारों में अटकलें आने लगी हैं क्योंकि अधिकतर व्यापारी अपने आयात सौदे एवं बिक्री को देखते हुए कई सौदे ऐसे दिखाई दे रहे हैं जो एक ही दलाल कई व्यापारियों को बिकवा चुका है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि 1.75 लाख टन से ज्यादा सौदे नहीं हुए हैं, जो 3.45 लाख टन के आसपास अब तक हो चुके थे। इन हालातों को देखते हुए दूरगामी परिणाम बढिया होगा, लेकिन फिलहाल दहशत में कुछ दिन तक मंदा बरकरार रहेगा।
मटरः खरीद लाभदायक
(13/10/2016) नवांसेवा पोर्ट पर चालू माह में लगने वाले स्टीमरों की स्थिति मैनुफैस्ट में लगातार दिखाई देने लगी है। पिछले 20 दिनों के अंतराल डेढ लाख टन सफेद मटर लग गयी है तथा 15 व 18 अक्टूबर को और माल लगने बाकी हैं। इसके अलावा 24 अक्टूबर का भी एक और जियासिया बर्ड नामक स्टीमर लगने वाला है, जिस पर 48891 मी.टन के करीब सफेद मटर है एवं उसी दिन दूसरा स्टीमर दरिया टियाना भी लगेगा, जिस पर 61500 टन मटर लदी है। फिलहाल अभी तेजी तो नहीं है, लेकिन नीचे वाले भाव पर व्यापार करना चाहिए क्योंकि अक्टूबर में ही अधिक से अधिक स्टीमर लगने वाले हैं।
काबली चनाः बिजाई 70 प्रतिशत हुई
(13/10/2016) ऊंचे भाव होने एवं पिछैती बरसात से किसानों को काबली चने की बिजाई में उत्साह बना हुआ है। अभी तक कर्नाटक में 70 प्रतिशत हो गयी है। मध्य प्रदेश व इंदौर लाइन में जोरों पर चल रही है। हालांकि किसान काबली चने की बिजाई के लिए 70 प्रतिशत अपने गोदाम में रखे हैं, लेकिन 30 प्रतिशत रिकॉर्ड तेजी को देखकर बिजाई के लिए बाहरी किसान बीज भंडारों से खरीद करने लगे हैं, जिससे मोटा माल एमपी में 13 हजार रुपए बिक गया। इधर महाराष्ट्र में भी छोटे दाने वाला 10500 रुपए भी बिक गया है।
गेहूंः तेजी-मंदी टेण्डर पर निर्भर
(13/10/2016) गेहूं की आवक किसानी माल की लगभग समाप्त हो गयी है। दूसरी ओर सरकार द्वारा भी एफसीआई के माध्यम से दिये जाने वाले गेहूं टेण्डर और घटा दिये हैं, जिसके चलते इस बार का टेण्डर 15/16 रुपए और महंगा चला गया। यहां भी इसके भाव 1840/1845 रुपए प्रति क्विंटल पर जा पहुंचे हैं। यह गत वर्ष की तुलना में 140/150 रुपए ऊंचा बिकने लगा है। अब आगे गेहूं में तेजी-मंदी सरकारी बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। अगर सरकार एक लाख क्विंटल से बढाकर गेहूं का टेण्डर देती है तो बाजार दबेगा। अन्यथा 10/20 और बढ जाएगा।
चावलः बारीक में पोल
(13/10/2016) पूर्वी उत्तर प्रदेश-बिहार में अच्छी बरसात होने से बारीक प्रजाति का धान बहुत ही बढिया दिखाई दे रहा है, लेकिन विगत् दो सालों से कम बरसात होने से किसानों ने बारीक धान की रोपाई कम की है। दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा व पंजाब में 1121 धान की रोपाई इस बार कम हुई है। धान 1509 प्रजाति में पोल आ गयी है, जिससे इसके भाव मंदे के बाद गत कई दिनों से ठहर गये हैं। इन हालातों को देखते हुए बारीक चावल के भाव निचले स्तर पर आ चुके हैं। इन भाव में व्यापार करना चाहिए।
सोयाबीन : हो सकता है मंदा
(13/10/2016) घटी कीमत पर स्टॉकिस्टों एवं प्लांटों की लिवाली सुस्त बनी होने से जलगांव में सोयाबीन 3 हजार रुपए के पूर्वस्तर पर स्थिर बना रहा जबकि इंदौर में यह 100 रुपए मंदा होने की जानकारी मिली। शिकागो के सकिय्र तिमाही सोया तेल वायदा में 28 सैंट प्रति पौंड तथा केएलसीई के सक्रिय तिमाही सीपीओ वायदा में 37 रिंगिट प्रति टन की मंदी आने की सूचनाएं हैं। इधर, सटोरियों की बिकवाली के दबाव में सक्रिय घरेलू वायदा 50 रुपए या 1.61 प्रतिशत गिरकर 3055 रुपए रह गया। आगामी एक-दो दिनों में हाजिर में सोयाबीन थोड़ा-बहुत मंदा हो सकता है।
बाजराः-और घटने की गुंजाइश नहीं
(13/10/2016) हरियाणा, राजस्थान एवं पश्चिमी यूपी में बाजरे का उत्पादन बम्पर हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन मध्य व पूर्वी यूपी को मिलाकर औसतन 35 लाख टन उत्पादन होता है, जो इस बार 15 लाख टन कम रह जाने का अनुमान आने लगा है क्योंकि पूर्वी यूपी में बाढ से बाजरे की 80 प्रतिशत फसल नष्ट हो गयी है। दूसरी ओर 10 लाख टन के करीब जो पुराना स्टॉक बचता था, वह इस बार पहले ही समाप्त हो चुका है। इस तरह पूर्वानुमान से 25 लाख टन उत्पादन में कमी को देखते हुए वर्तमान भाव से और मंदा नहीं लग रहा है।
मक्कीः थोडा बाजार और दबेगा
(13/10/2016) मक्की में घरेलू व निर्यात मांग दोनों ही कमजोर चल रही है। दूसरी ओर एमपी व राजस्थान में मक्की की कटाई शुरू हो गयी है, जिससे यहां यूपी की मक्की में लिवाली कमजोर होने से 5/7 रुपए बाजार और दब गये हैं। यहां 1545 रुपए में भी उठ्ठू में गोदाम से कोई विशेष व्यापार नहीं हो रहा है। बिहार में भी बरसात होने से मक्की लोडिंग खगडिया-बेगूसराय लाइन से ठप्प पड गयी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए मक्की का बाजार वर्तमान भाव से 10/20 और दब सकता है।
pulsesreport
Hike in MSP of pulses will give output a leg-up: Ram Vilas Paswan
Production of pulses is expected to touch 200-lakh tonne mark this year in comparison to 176 lakh tonnes last yearThe hike in MSP of pulses will boost output, besides helping reduce dependence on their imports, said Food Minister Ram Vilas Paswan on Sunday.
He said further that the production of pulses is expected to touch the 200-lakh tonne mark this year as against the last year's 176 lakh tonnes.
The minister hoped that the hike of up to Rs 425 per quintal in the minimum support price (MSP) of pulses will bring down the gap between production and supply in a big way.
"Increasing support price will also drastically reduce our dependence on imports," he explained.
Paswan, who also holds the consumers affairs and and public distribution portfolio, was in the city to preside over a meeting of senior officials of the Food Corporation ofIndia (Punjab region).
He later told reporters that in the recent past, the government raided stocks of hoarders in view of the rising prices of pulses and found that most of them were importers of pulses.
"Our raids had brought the prices of the pulses down to a large extent," he stated.
Paswan said his ministry had come out with a new policy of storage of foodgrains, including pulses, under which storage will be limited to a maximum one-and-a-half years so that the farmers could easily sell their products.
In the earlier system, the crop used to go waste due to long storage and the farmers too felt insecure, he added.
Meanwhile, barring Kerala and Tamil Nadu, the National Food Security Act has been implemented in rest of the states.
According to Paswan, Kerala has given the assurance that it will implement the Act from April 1, 2017.
Wednesday, 5 October 2016
Chana prices buck the overall declining trend in pulses
Chana was selling at an average price of around Rs 8,000 per quintal in August, but moved up to Rs 9,750 per quintal in SeptemberRBI Governor Urjit Patel might have targeted to keep retail inflation at around 5 per cent till March 2017, but as he himself has pointed out in his maiden policy review, there are many upside risks to this target.
One such risk, which Patel and his team will have to deal with will come from pulses, particularly chana (gram), whose prices have shown a steady rising trend in the last few weeks.
Though, overall, the entire pulses complex has cooled down big time – with prices of some like moong (green gram) even dropping below the Minimum Support Price (MSP), necessitating government intervention – but chana has stood out from the rest.
Infact, data sourced from the department of consumer affairs show that in the last one month chana prices in major wholesale markets of the country has moved up by RS 2,000-3,000 per quintal largely due to supply crunch.
The August retail inflation dropped to a five-month low of 5.05 per cent due to slower increase in food prices.
Traders said in some wholesale markets of the country, chana was selling at an average price of around Rs 8,000 per quintal in August, but in September it has moved up to Rs 9,750 per quintal, with all possibility of it moving further atleast December end or January.
In other words during the peak festival season chana prices are expected to be high.
Chana is one of the biggest pulses grown in India, comprising of more than 40 per cent of all pulses grown in India. Chana production in the 2015-16 rabi season, dropped to 7.17 million tonnes, the lowest since 2008-09.
Being a rabi crop, the new harvest is expected to hit the market somewhere around January only before which prices will continue to remain high.
Though, import price of chana is somewhat favourable at Rs 5,400- 6,500 per quintal, but there too is a catch as heavy rains in Australia has reportedly damaged 30 per cent of the standing crop.Australia is one of the largest exporters of chana to India.
“For three years chana was selling at below the MSP of Rs 2,950 per quintal in mandis, which coupled with back-to-back drought compelled farmers to shift to other crops in the last rabi season. The fallout of which is being felt now,” Pravin Dongre, Chairman of India Pulses and Grains Association said (IPGA) .
The retail and wholesale price of chana also show a sharp divergence, which means whatever impact on prices is happening in wholesale markets is not getting adequately transferred into the retail markets.
The average difference between the wholesale and retail rates of chana is around Rs 1,850 per quintal.
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